Monday, April 5, 2010


बूँद
छनक छनक कर गिरी वो बूँद मेरे मुख पर ,
लगा वो बूँद निकली मेरे दिल को छु कर ,
फूटी वो बूँद तो लगा हीरा खिल गया कूद कूद कर ,
चेहेक उठे पक्षी यह देख कर ,
पक्षियों ki चेह्चेहाहट सुन कर ऐसा लगा
मानो आज हो रहो कोई शादी उनके घर पर ,
तब लगा वो बूँद कर गयो कितनी रौनक सब पर .

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